13/7/10

समय का पेड.


भविष्य वर्तमान के परकोटे के उस पार होता . दूसरे पार भूत होता . वर्तमान सबको मिला हुआ होता . भविष्य वर्तमान में आकर मिलता .भविष्य इस तरह का होता के जाते हुए एक पेड. के नीचे पहुँचे नहीं कि उस पेड. का पतझर शुरु हो गया . एक साथ सारे पत्ते उपर गिर गए . जब तक उसके नीचे नहीं पहुँचे थे तब तक पेड. में हरे पत्ते थे . अब आगे एक पेड. के नीचे और पहुँचेंगे .    
                                                                                    -- विनोद कुमार शुक्ल

कोई टिप्पणी नहीं:

LinkWithin

Related Posts with Thumbnails