ऋत की रीत - 1
सत्य का आकाश शब्द की खिड़की में नही समा सकता . इसलिये शब्द , सत्य को बयान नही कर सकते . ऋत ( ताओ अथवा धर्म ) रचनात्मकता की उड़ान है , वो कोई प्रचलित मार्ग नही जिस पर किसी का अनुसरण कर चला जा सके .... वो कोई मंज़िल भी नही जहाँ किसी का पीछा कर पहुँचा जा सके .
ऋत मन के भटकाव का समापन है ;
वह यात्रा की समाप्ति है , मंज़िल का विसर्जन है .
3 टिप्पणियां:
सुन्दर, सत्य, सृजनधर्मी लेखन।
सुन्दर विचार सुन्दर ब्लॉग
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आई जाने क्या है कुछ तो आपके ब्लोग में कम शब्दों ने बहुत कुछ समा लिया है अपने अन्दर .........।चित्रों का चयन काबिले तारीफ है .........
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