15/7/10

प्रेम का अवसर दोनों के साथ रहता











पती पत्नी के लिए प्रेम के अवसर घर में बहुत थे . प्रेम के अवसर गृहस्थी की तरह थे . इन्हे ढूँढ़्ने के ज़रूरत नही होती कि अवसर नहीं मिल रहा है और ढूँढ़्ते हुए घर से बहुत दूर निकल गये . प्रेम का अवसर कहीं दिखा ये पूछ्ने की ज़रूरत नहीं होती . क्या नदी से पूछें कि तुम्हारे किनारे प्रेम का अवसर है . तालब, जंगल, पेड़ से पूछें ? प्रेम का अवसर दोनों के साथ रहता . बल्कि आगे पीछे घूमता रहता . कभी अवसरों की भीड़ लग जाती कि कई रंग की तितलियाँ आसपास मंडरा रही हैं .जिध्रर जाते तितलियाँ उड़ते-उड़्ते वहीं पहुँच जातीं . चौके में पहुँच जातीं , परछी में पहुँच जातीं , पेड़ के पास पहुँच जातीं . नदी के पास पहुँच जातीं. क़ई बार एक छोटी सी जगह पर छोटी-छोटी अनेक तितलियाँ बैठी रहतीं .
                                                           विनोद कुमार शुक्ल 

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