वह स्थिति जो वाक और विचार का अतिक्रमण कर सके , मौन है । वह ध्यान है जिसमें कोई मानसिक हरकत नही होती । मन को काबू में लाना यही ध्यान है । गहरा ध्यान एक ऐसा ' कथन ' है जो चिरंतन है ।, मौन हमेशा मुखरित होता है , वह भाषा का चिरंतन प्रवाह है जिसे हम बोल कर तोड़ देते हैं ; शब्द इस मूक भाषा में बाधा डालते हैं । व्याख्यान लोगों का घंटो मनोरंजन कर सकता है ,बिना उनमें रत्ती भर सुधार किये , जबकि मौन चिरंतन रहता है और समूची मानवजाती के लिये कल्याणकारी सिद्द होता है । बोले हुए वचन उतने मुखर नही होते जितना मौन होता है । मौन अनवरत रहता है कौन सी भाषा उससे बेहतर हो सकती है।
महिर्ष रमण
2 टिप्पणियां:
आपके ब्लॉग हेडर का चित्र विचारोत्तेजक है, अलग सा है. अपनी ओर खींचता सा है. बढ़िया कलाकृति. सुंदर. :)
साथी ापने ब्लॉग रंग जो चुना है ...पहली बात तो रंग आपने बड़े अनूठे चुने हैं. भाव और चित्र आध्यात्मिक लग रहे हैं.. आपका परीश्चण सफ़ल रहा. इसे कहते हैं जब रात है ऐसी मतवाली तो सबह का आलम क्या होगा.. हमारी शुभकामनाएं स्वीकार करें...
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